याद भरी टॉफीया
#स्मृति_कविता
कुछ लम्हें चुरा लाना चाहती हूँ बचपन से
वो ज़ब पापा हर रोज शाम टॉफीया लाया करते
सबको एक पर मूझे दो दिया करते
चुपके से टॉफ़ीयो के साथ मेरे नन्हें हाथों में कुछ खंकते...
कुछ लम्हें चुरा लाना चाहती हूँ बचपन से
वो ज़ब पापा हर रोज शाम टॉफीया लाया करते
सबको एक पर मूझे दो दिया करते
चुपके से टॉफ़ीयो के साथ मेरे नन्हें हाथों में कुछ खंकते...