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ज़िंदगी चलने का नाम .... 🖋️🌧️☀️🌼

मुस्तक़बिल की उम्मीद पर,
जीतता है इंसान दुनिया
जीत नहीं सकता लेकिन
ख़ुद से ही हारकर

रुके रुके से अपने
इन कदमों को आज
एक बार फ़िर
चलने को तैयार कर,
मंज़िल का सफ़र
आसान नहीं होता सभी के लिए
अपने फ़ैसलों पर
इतना तो ऐतबार कर

बहारों के बीच
ख़िजाँ को आना ही है
भूल ना जाना तुम
ख़्वाबों के गुलिस्ताँ को संवार कर

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© संवेदना
#ख़्याल_नए_पुराने