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झुकी कमर गवाही है उसकी.....
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अपने होंठों की हंसी के पीछे ,
ना जाने कितने गम छुपाता है

हो कितना भी गमगीन
फिर भी मुस्कुराता है

झुकी कमर गवाही है उसकी
कितना बोझ उठाता है

पेट काट के अपना ,
बिटिया का दहेज जुटाता है
खुदा ही जाने वो कैसे घर चलाता है

मौसम की मार को झेलता है
ओलों की बौछार से खेलता है
तब जाके वो कही अपने,
परिवार को पालता है

सच कहते हैं कि
बड़ा शेर दिल होता है किसान.....
पूरी करने को छोटी सी ख्वाइश
दिन रात बचाता है !
जिंदगी को खर्च कर ,
पैसे कमाता है !!

जय जवान
जय किसान






© Rekha pal