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हे पुरुष
हे पुरुष जरा यह तो बता क्या दर्द छुपाए बैठे हो, इन मुस्कुराते हुए अधरों के पीछे क्या रोष छुपाए बैठे हो, क्या दिल दुखता है तुम्हारा भी क्या पीडा तुमको भी होती है ,इस आनंदित मुख के पीछे एक व्याकुल चित् छुपाए बैठे हो ,कब तक यूही मुस्काओगे कब तक अपनी पीड़ा छुपाओगे ,स्थिर मन के पीछे जीवन भर का संघर्ष छुपाए बैठे हो ,क्या दर्द छुपाए बैठे हो
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