...

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!! में कलम हूँ, मेरा सफर हे सुहाना !!
चाहत भरे स्याही से बना हूँ...
मेरे अरमानों से अंजान हे जमाना...
में कलम हूँ, मेरा सफर हे सुहाना...!!
जब होजातेहे बच्चे बड़े...
तब, पेन्सिल छोड मुझसे पाला पड़े...
समझ जाओ ये गहरी राज...
मुझसे गलतियोंको मिटाना
नहीं हे...