...

31 views

किसका था कसूर?
किसका था कसूर?
हमारे मासूम दिलों की जो,
मिलते ही एक दूसरे में खो गए थे ,
या फिर यह बेशर्म आंखों की,
जिन्होंने देखते ही देखते एक
दूसरे की नजरे उतरने लगे थे!

किसका था कसूर?
तुम्हारे मासूमियत चेहरे की हंसी,
या मेरा बहरेहम गुस्सा,
छोड़ो अबकी बात नहीं कर रही हूं
अब तो बात भी नहीं होती!

मेरा तुम्हारे आंखों में खो जाना ,
सारे खामियां को तुम्हारे
अपने नजर में बस खूबियां का नाम देना!
क्या यही था कसूर?

तुम्हारी हर बात जो मेरी दिल के
आर पार निकल जाया करती थी
उन्हें बस प्यार का नाम देना !
या यही था कसूर?

एक तुम जो एक के बाद एक
इल्जाम लगाए जा रहे थे मुझ पर
उन्हें बस मोहब्बत का नाम देना!
कया यही था कसूर?

जब मुझे और हमारे बीच के इश्क को
तुमने बेनाम कर दिया था,
उसे समेत के अपने दिल का नाम देना!
क्या यही था कसूर?

जिस दिन सारे वादे तोड़
तुम चले गए थे फिर भी ,
महीनो से बस तुम्हारे आस मे बैठना !
क्या यही था कसूर?

तुम मेरे नहीं रहे यह जानकर भी
खुद को तुम्हारा नाम लिख देना!
शायद यही था कसूर!
🥺🖤🌟




©krishuwrites