हमे क्यों चुना गया...?
कोई आया फिर देखो कहीँ चला गया।
थी खड़ी फ़सल काटने को जला गया।।
न मालूम फ़िराक में था आया किसके।
भीड़ में तमाशा ज़िंदगी का बना गया।।
कुछ भी ऐसा न दिखाई पड़ा सामने।
पर धूल उड़ाई ऐसी मानो छला गया।।
हवा की तरह आया घर के कोने तक।
खाली नही होता दिल ऐसा समा गया।।
नही मालूम थी क्या...
थी खड़ी फ़सल काटने को जला गया।।
न मालूम फ़िराक में था आया किसके।
भीड़ में तमाशा ज़िंदगी का बना गया।।
कुछ भी ऐसा न दिखाई पड़ा सामने।
पर धूल उड़ाई ऐसी मानो छला गया।।
हवा की तरह आया घर के कोने तक।
खाली नही होता दिल ऐसा समा गया।।
नही मालूम थी क्या...