...

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प्रेम कऽ परिभाषा
हम प्यार अहां सँ करै छी ओना,
फूल के संग खूश्बु रहैया जेना ।।

इंतज़ार अहाँ कऽ हम करै छी ओना,
धरती अंबर सँ मिलै लऽ तड़पै या जेना।।

हे यै सजना हम श्रृंगार अहाँ लऽ करैछी ओना ,
सजै छैथ राधा रानी श्री कृष्ण लऽ दिन राति जेना।।

हम मांग में अपन अहाँक सजबै छी ओना,
हे यौ सजना चमकैया गगन में चंदा जेना।।


हम प्रीत अहाँ सँ करै छी ओना,
करै छैत सीया राम जी सँ जेना।।

अपन हृदय में अहाँक हम बसेने छी ओना,
हनुमान जी बसेने छैथ सीया राम के जेना ।।

संग अहाँक हम रह चाहैय छी ओना,
शंकर संग पार्वती रहै छैथ जेना ।।

वियोग में अहाँक हमर नयन झड़ झड़ झड़ैया ऐना ,
सावन भादो कऽ कारी कारी मेघ बरसै या जेना ।।

हे यौ सजना सबटा मनक बात हमर जनै छी अहाँ ,
तखनो हमरा सँ सदखन आंहा पुछैय छी कोना..?

कि हम अहाँ सँ कतेक प्रेम करै छी...??
अहाँक छोड़ि ककरो दिश हम तकयी छी कहाँ ..?

हम स्नेह अहाँ सँ राखैत छी ओना ,
मीन नीर संग क्रीड़ा करैत अछि जेना।।

कि हमरा पर कनियो भरोसा नइ करै छी अहाँ..??
हे यौ सजना अहाँ बिन जीवन हम सोचैय छी कहाँ..??।

तखनो हमरा सँ अहाँ पुछैत छी कोना...??
कि प्रेम कऽ परिभाषा नय जनै छी अहाँ...??
किरण