...

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एक तिनका
मैं घमंडो में भरा ऐठा हुआ
एक दिन जब था मुंडेर पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ
एक तिनका आंख में मेरी पड़ा।

मैं झिझक उठा ,हुआ बेचैन सा।
लाल होकर आंख भी दुखने लगी।
मूठ देने लोग कपड़े की लगे।
ऐठ बेचारे दबे पाव भागी ।

जब किसी ढब से निकल तिनका गया ।
तब समझ में यूं मुझे ताने दिए।
एठता तू किस लिए इतना रहा।
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।