...

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मैं एक पेङ
कोई नहीं समझता है पेङ का दुख
जंगल युही कभी बीरान नहीं होते
सूख कर सब्ज हो गया कैसे
मैं एक पेङ हो गया कैसे
खङा हू एक ही जगह वर्षो से
मिट्टी में सब्ज हो गया कैसे
मैं एक पेङ हो गया...