...

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न जाने क्यूँ?
मेरा दिल कर रहा मुझसे ही बगावत न जाने क्यूँ?
बेसब्र तुझे पाने को कर रहा है खिलाफत न जाने क्यूँ?

जब ख्वाबों में भी वो लिपट कर बाहों में आ जाते हैं,
क्यूँ हज़ारों हँसी मंजर निगाहों में आ जाते हैं?

क्यूँ खुशबू चमन को छोड़ मेरे सांसों में घुल जाते हैं?
क्यूँ सरसरा के अपने आप आँसू मेरे धुल जाते हैं?

मस्ती भरी घटा होगी हँसी लब जब मिलेंगे,...