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ग़ज़ल लिख रहे है
एक लेखक जो सोचें वो ख्याल हो तुम,
मन मे जगा दो वो हजारों सवाल हो तुम,
जिन गलियों के अँधेरे में मैं जो भटकुं
उन्ही गलियों में जलती एक मिसाल हो तुम,
जिन बर्फ़ीली सर्द रातों मे ये बदन जो कप कापाये
उसपर लिपटने वाला वो रेशमी शॉल हों तुम,
जब गर्मियों से मेरे हाल जो बेहाल हो
रेगिस्तान में अचानक मिल जाने वाली
वृक्ष की वो छाँव हो तुम,
नैनो में काजल जो भरों साँवला रंग निखर जाये
जैसे भी हो खुदा कसम बहुत बेमिशाल हो तुम,
कानों के वो झुमके, पैरों के वो पाजे
कमर में जो लटके वो कमरबंध
उसकी घनक जो बजे सुनाई दे दूर तक
वो मधुर संगीत हो तुम,
गणेश चतुर्थी के मेले में
मेरी आँखें जो तुझे ढूंढे
वो तुरंत गुम हो जाने वाली परी हो तुम,
जिसकी जीवन भर पूजा करना चाहता हूँ
वो देवी की प्रतिमा हो तुम,
तुम्हारी कयामत खूबसूरती देख कर
बतलाए जो मेरी जो आँखें
सोचो कितनी कमाल हो तुम,
अमृत गजल लिखना सिख रहे है
गजलों को कर दो मुकम्बाल वो ताल हो तुम,
#Love&love #WritcoQuote #Hindi @Vandanasingh @Anjal2859
© Amrit yadav
मन मे जगा दो वो हजारों सवाल हो तुम,
जिन गलियों के अँधेरे में मैं जो भटकुं
उन्ही गलियों में जलती एक मिसाल हो तुम,
जिन बर्फ़ीली सर्द रातों मे ये बदन जो कप कापाये
उसपर लिपटने वाला वो रेशमी शॉल हों तुम,
जब गर्मियों से मेरे हाल जो बेहाल हो
रेगिस्तान में अचानक मिल जाने वाली
वृक्ष की वो छाँव हो तुम,
नैनो में काजल जो भरों साँवला रंग निखर जाये
जैसे भी हो खुदा कसम बहुत बेमिशाल हो तुम,
कानों के वो झुमके, पैरों के वो पाजे
कमर में जो लटके वो कमरबंध
उसकी घनक जो बजे सुनाई दे दूर तक
वो मधुर संगीत हो तुम,
गणेश चतुर्थी के मेले में
मेरी आँखें जो तुझे ढूंढे
वो तुरंत गुम हो जाने वाली परी हो तुम,
जिसकी जीवन भर पूजा करना चाहता हूँ
वो देवी की प्रतिमा हो तुम,
तुम्हारी कयामत खूबसूरती देख कर
बतलाए जो मेरी जो आँखें
सोचो कितनी कमाल हो तुम,
अमृत गजल लिखना सिख रहे है
गजलों को कर दो मुकम्बाल वो ताल हो तुम,
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