...

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ख़ुशी महंगी होती है
उजाड़ कर खुशियाँ को मेरी
क्यों उजड़ा चमन बनाते हो!
कुछ पल तो ख़ुशी से जीने देते
क्यों इश्क को आजमाते हो!
कल इश्क करना सिखाया तुमने -
"कह कर साथ निभाना है "!
अब एक मसला लेकर दूरियां
बढ़ाते हो!
कैसे समझाऊं तुम्हें मेरी भी
कुछ हदे हैं,
कैसे सीमाओं को लांघू,
तुम तो हर वक़्त बातों को
मनवाते हो!...