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मायूस रिश्ता
रिश्ते मायूस थे-पांव थोड़े ठिठके भी-हसरतें ज़िद पर थीँ-जिन्दगी थी की मानी नहीँ-सोचा लौट कर निभा लेंगे-जेब से जो निकलेगे सिक्के -वो सब सम्भाल लेंगे--जाने किस वक्त -वक्त पोटली से कहाँ गिर गया-सफर तो घर पहुँच कर रुकना था-कैसे अधूरा ही थक गया-वो मायूस रिश्ता भी खुद को थपकि दे-सो गया
© mayank