...

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ख़्वाहिश-ए-दिल
इश्क़ हो गया है मुझको नवाज़िश-ए-दिल है,
चैन खो गया मेरा, क्या ये साज़िश-ए-दिल है।

नाम-ए-इश्क़ से बढ़ जाती हैं धड़कनें दिल की,
ज़िन्दगी सजा दो मेरी, गुज़ारिश-ए-दिल है।

और कोई मेरी चाहत नहीं सिवा तेरे,
हमसफ़र तू ही हो मेरा, सिफ़ारिश-ए-दिल है।

सरकशी सी छाई है आज-कल मेरे दिल में,
ग़ालिबन तुझे पाने की ये शोरिश-ए-दिल है।

साज़ है तू मेरे दिल का, मैं नग़मा हूँ तेरा,
गुनगुना ले तू मुझको, मेरी ख़्वाहिश-ए-दिल है।

© Azaad khayaal

(2 1 2) / (1 2 2 2) / (2 1 2) / (1 2 2 2)

(नवाज़िश-ए-दिल = दिल की कृपा/मेहरबानी)
(सरकशी = विद्रोह)
(ग़ालिबन = शायद)
(शोरिश-ए-दिल = दिल का विद्रोह/बग़ावत)