...

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दिल
कहते हैं दिल मुठ्ठी बराबर होता है
तो इतने दर्द का बोझ कैसे ढोता है
पढ़ा है मैंने मांस, धमनी और नसों से भरा है
तो टूटने पे क्यों कहते हैं लोग की मेरा दिल मरा है
इश्क़ में मेहबूब देख के दिल की धड़कन रुक जाती है
कभी आओ ICU में हमारे दिखाऊँ क्या होता है जब सांस नहीं आती है
जिस दिल पे इतने ज़ख़्म खाने का दावा करते हो
ज़रा सा दर्द उठे तो अस्पताल भागे फिरते हो
बेचारे दिल को हम आशिकों ने यूँ ही बदनाम किया है
ये तो दिमाग़ की सोच है जिसने हमें दुःख, दर्द दिया है
क्या तुम जानते हो दिल में हड्डी नहीं होती
शायद यही वज़ह है दिल टूटने पे आवाज़ नहीं होती
© chiku💔