...

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दर्द भरा प्यार
प्यार कितना सच था वो देखा था मेने ,
तुम्हारी हसी को छिपाता देखा था मेने ,
खुशी के आसू को रुलाता देखा थे मेने ,
तेरी ख्वाइसो को घायल होता देखा था मेने,

वो टेलीग्राम के मैसेज को पढ़ा था मेने ,
व्हाट्सप के मैसेज को महेसुस किया था मैंने,
इंस्टाग्राम के मेसेज को दिल से लगाया था मेने,
लेकिन तेरी याद कब रुला गई वो बता नही पाया ,

रात रात के स्वप्न को हसीन बनाया था तूने ,
घायल दिल को सुकून दिया था वो पल तूने ,
सच कहे रही थी सुबह ५ से रात १२ की बाते ,
लेकिन हम दर्द का कोई मुकाम नही मिलता ,

तुम कितना प्यार से याद करती थी ना रोज ,
वो लंच ब्रेक और टिफिन का शेर करनेका रोज ,
अपने प्यार से एक दूसरे को खिलाना था रोज ,
लेकिन किस्मत का खेल कौन ही समझ पाया ,

तुमने ऐसा तो नहीं कहा की दूर जा रही हो ,
लेकिन मौन को सताने का अर्थ ही क्या होता ,
वो प्यार करते डूब जाने का अर्थ ही क्या होता ,
केवल और केवल आसू के निकले वो शब्द ,

वो शब्द जो में लिख रहा हु आशु के साही से ,
तेरे जज्बातों में समा जाता हु में हर बात में ,
क्यों वो वक्त वापस नहीं आ सकता अब ,
क्यों पल पल दिल को जला रहा था बहोत,

जैसे इंसान की मृत्यु पे लोक शोक मनाते हे ,
वैसे ही ये दिल तेरी याद का शौक मनाता है ,
कहने के लिए शब्द कम हे आशु ज्यादा है ,
लेकिन तेरी याद का लिखा वो भी सच है ।

आसू जब खून बन जाए दिल का हाल ऐसा हो ,
तो घायल क्या ही कैसे ही हर शब्द को लिखेगा ,
जैसे बस अब वो वक्त मिल जाए खोया सहारा मिले ,
तो कट जायेगी ऐसी राह जो अब तेरे मेरे में बसी है ।

लेकिन वो याद का ऐसा नहीं होता ना हर पल ,
की तेरे लब्जो को मायने मिलने से दूर हो जाए ,
आ जाओ अब फिरशे खिलाए प्यार वो दोबारा ,
बस हो गया अब मिलने भी आओ कभी राह में ।
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