...

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हमने कब सोचा था ............

#shadow #shadowpoem
हमने कब सोचा था
की हम यहां पहुचेंगे
आपकी इन प्यारी आंखों में खुद को देखेंगे
हमने कब सोचा था
हम मुस्कुराएंगे, हम यूं खिलकर अपनी बात बताएंगे
हम तो भटके तन्हा विरानों में
गुम होकर अपने आप के तरानों में
हमने कब सोचा था
की हम आपसे मिलेंगे
आपकी जुबां से अपना नाम सुनेंगे
हम रोए किसी के साथ के लिए
किसी की आस के लिए तो किसी से बात के लिए
हमने कब सोचा था कि
हम यहां पहुचेंगे
© shadow