दुनिया
दुनिया के बाज़ार में दुकां देखा मकां देखा
इंसानियत की पनाह देखी हैवानियत बेपनाह देखा
रूह काँप जाए वो ठोकर देखी किसी को किसी का होते देखा और सब कुछ खोते देखा
कभी इंसां को ख़ुदा होते देखा किसी को गुनाह के बीज बोते देखा
कहीं हद पार करती सरहदें देखी किसी को दबते और दबाते देखा ...
इंसानियत की पनाह देखी हैवानियत बेपनाह देखा
रूह काँप जाए वो ठोकर देखी किसी को किसी का होते देखा और सब कुछ खोते देखा
कभी इंसां को ख़ुदा होते देखा किसी को गुनाह के बीज बोते देखा
कहीं हद पार करती सरहदें देखी किसी को दबते और दबाते देखा ...