...

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तलाश क्या है..
ख़ुद ही बनाते हैं ख़ुद ही तोड़ते हैं
दर्द सह कर भी, हम ख़ुशी जोड़ते हैं ..

अब उम्र गुज़री, पर तलाश क्या है?
पता नहीं.. चलो फ़िर भी दौड़ते हैं..

जो चाह थी, वो तो हासिल हुआ था
पर, जिसे पा लिया फिर उसे छोड़ते हैं..



© Rajnish Ranjan