...

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#इश्क न करना#
मैंने अब तक जितनी भी जी है उसका सार कर रहा हूं
मेरी जिंदगी तबाह करने वाले तेरा आभार कर रहा हूं।

तेरे साथ बिताया हर एक लम्हा यादगार रहा मेरा
तेरे जाने पर खुद को बदचलन कह शर्मशार कर रहा हूं।

धीमी नब्ज गहरे जख्म और धंसी आखों का राज तू है
राज,राज ही रहे सो खुद को सबसे नाराज कर रहा हूं।

इश्क की गली के मुशाफिरो चराग लिए चलना हाथ में
चेहरे की मासूमियत में छिपे मंसूबे साफ कर रहा हूं।

मैं जो कुछ भी कर रहा हूं वो भी क्या काम कर रहा हूं
तितलियों को फूल काफी हैं,
मैं तो फूलों के दबे दर्द सारे आम कर रहा हूं।।

_नवीन शर्मा