इश्क
हम तुम और इश्क
सब यंहीँ रह जाएंगे एकदिन
उसपे क्या लिखूँ
जिसके इंतज़ार में जिंदगी
थक सी जाती है और
किस्मत के आगे हार जाती है
और फासले के संग मोहब्बत और
बढ़ सी जाती है उसपे क्या लिखूँ
सुकून
सब यंहीँ रह जाएंगे एकदिन
उसपे क्या लिखूँ
जिसके इंतज़ार में जिंदगी
थक सी जाती है और
किस्मत के आगे हार जाती है
और फासले के संग मोहब्बत और
बढ़ सी जाती है उसपे क्या लिखूँ
सुकून
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