जिंदगी गुलज़ार है !
जिंदगी गुलज़ार है
और कुछ गुमनाम भी !
इन तमाशबीनों की दुनिया से
अपने आपको गुज़रता पाया इक शाम...
वो उमरदार दरखत मुझे सता रहा था
अपनी हरी लहराती पत्तियों की झनझनाहट सुना
शायद कुछ बता रहा था ।
मैं होश संभाले, कदम बढ़ाए
उसकी बाहों में अपनी आत्मा...
और कुछ गुमनाम भी !
इन तमाशबीनों की दुनिया से
अपने आपको गुज़रता पाया इक शाम...
वो उमरदार दरखत मुझे सता रहा था
अपनी हरी लहराती पत्तियों की झनझनाहट सुना
शायद कुछ बता रहा था ।
मैं होश संभाले, कदम बढ़ाए
उसकी बाहों में अपनी आत्मा...