#बेताबी
बेकार हूं,खराब हूं,बेवकूफ हूं,गंदा हूं पर बहुत लाचार हूं में.......
जैसे किसी रात बहुत तेज तूफान में फड़फड़ाता पेड़ हूं मैं!
पर मुर्शद जितना जाना है खुद को इस जिंदगी में...
अपनी उम्र से चार कद और बड़ा हूं मैं!!
चलने को मुझमें हौसला बहुत है,
कमजोर हूं, माना! मंजिल और मुझमें फासला बहुत है
और तेरा यूं बेरुख होना मुझसे खलता है मुझको,
क्योंकि किस्मत में मेरी भी अंधेरा बहुत है।
तुम्हारे आने से लगा जैसे बदली हो...
जैसे किसी रात बहुत तेज तूफान में फड़फड़ाता पेड़ हूं मैं!
पर मुर्शद जितना जाना है खुद को इस जिंदगी में...
अपनी उम्र से चार कद और बड़ा हूं मैं!!
चलने को मुझमें हौसला बहुत है,
कमजोर हूं, माना! मंजिल और मुझमें फासला बहुत है
और तेरा यूं बेरुख होना मुझसे खलता है मुझको,
क्योंकि किस्मत में मेरी भी अंधेरा बहुत है।
तुम्हारे आने से लगा जैसे बदली हो...