ओ रंगरेज
ओ रंगरेज मेरे
अपने ही रंग में
आज क्यूँ ना
तू मुझे रंग दे
वो प्यार का रंग
वो मुसकुराहट का सबब
वो तेरी भीनी सी खुश्बू
क्यूँ ना तू मुझे
उन् सारे हको से
वाकिफ करदे
ओ...
अपने ही रंग में
आज क्यूँ ना
तू मुझे रंग दे
वो प्यार का रंग
वो मुसकुराहट का सबब
वो तेरी भीनी सी खुश्बू
क्यूँ ना तू मुझे
उन् सारे हको से
वाकिफ करदे
ओ...