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मौसम का मिज़ाज
कभी ठंड कभी गर्मी कभी होती है बरसात
मौसम के शतरंज की ,बिछती रहती है बिसात।

ठंडी में कोहरे का आलम
ना नहाने का भी नहीं होता किसी को गम
कम्बल और रजाई अलाव ने धूम मचाई
कभी कभी भूले बिसरे ही, देती है धूप दिखाई
हो जाती है ठंडी में, चाय कॉफ़ी पर बात ख़तम।

बसंत की होती है सबसे खूबसूरत कहानी
ना ज्यादा ठंडी ना ज्यादा गर्मी ना बरसता है पानी
मौसम शुरु हुआ कि ,छा जाता है सब पर प्यार का खुमार
खिले हुए सरसो के पीले पीले फूल
झूम कर कर ख़ुशी से नृत्य करता हुआ मोर
पेड़ों से गिरता पत्ता ,तेज हवाओं का शोर
किसी को इंतजार प्रेम पत्र का किसी को होली का
सबके दिल में नई उमंग,नई तरंग
कुछ अलग से जज़्बात,
कुछ अलग से एहसास
इसी बसंत होता है सबसे खास।

अब आ गई गर्मी
शब्दों से दूर हो गई नर्मी
शादी का शोर
तपन ,जलन और पसीना
बहुत करता है परेशान जून का महीना
गर्मी नहीं है हमें पसंद इसीलिए
ना ज्यादा वर्णन ना ही आनंद ।

बरसने लगा पानी अब आ गई बरसात
कभीं सावन की फुहार,कहीं सावन के झूले
किसी के भीगे नैना,कोई किसी को भूले
बरसात किसी को भाये
किसी को बहुत सताए ।

हो गये अब मौसम चार, पतझड़, सावन,बसंत,बहार।।