A tribute to all my teachers
कविता से पहले थोड़ी भूमिका आवश्यक है, अन्यथा समझने में थोड़ी कठिनाई होगी।
तो ये बात है २०२२ की जब मैं कक्षा नौवीं में था।
प्रयागराज के गंगा गुरुकुलम विद्यालय में मेरा नया दाखिला हुआ था।
अब एक तो मैं वैसे भी गांव का सीधा सा
(बुद्धू सा 😜) बच्चा था ऊपर से सब नया , तो थोड़ी समस्या आना लाज़मी था । और उसी में मुझे मेरे क्लास टीचर ने कक्षा को संभालने की जिम्मेदारी दे दी थी अर्थात मॉनिटर बना दिया था।
खैर सब कुछ सही चल रहा था धीरे धीरे सब स्थाई हो गए थे और ज्यादा समस्या आ नही रही थी।
बस जो बात मुझे सत्र के अंत में जाके लगी वो यही थी कि बहुत बार ऐसा हुआ था कि कुछ शिक्षकों से थोड़ा वाद विवाद हो गया था वो भी बस इसी कारण क्युकी कई बार मेरे कहने का अर्थ या भावना कुछ और रहती थी परंतु वो गलत समझ लेते।
गणित के अध्यापक से इसी तरह एक बार रुष्ट हो गए थे, वे जाके राजीव सर यानी क्लास टीचर को शिकायत किए।
हालांकि पूरे स्कूल में वो मुझे सबसे अच्छे से समझते थे , वो आए और मुझे काफ़ी बेहतर तरीके से बातें समझाए।
फिजिक्स और मैथ्स के दोनो अध्यापकों से अंत तक मेरा संबंध अच्छा नही हो पाया ( एक तो यही विषय मेरी कमज़ोर कड़ी थे) शायद इसलिए भी।
पर हां,
अंग्रेजी के राजीव सर
हिंदी वाली अंजना मैडम
इनके रूप में मुझे ऐसे शिक्षक मिल गए जिनसे मेरा संबंध स्कूल मात्र तक सीमित रहने वाला नही है।
वैसे तो मुझे सहपाठियों से ज्यादा शिक्षकों की संगति ज्यादा भाती है, और कक्षा ९ में कई ऐसे सुंदर क्षण रहे जिसके वजह से वो मेरे जीवन की सबसे बढ़िया क्लास रही।
जब ९ की वार्षिक परीक्षा चल रही थी तो अचानक से मेरे मन में खयाल आया की आखिर उन टीचर्स को मैं अपने मन की बात बताऊं कैसे ,
अपने भाव और जो सम्मान मेरे मन में है उनके प्रति उसको कैसे व्यक्त करूं....
फिर यही कविता मेरा सहारा बनी।
जितने भी टीचर्स थे हमारी ९–ब में
सबके लिए चार चार पंक्तियां आप सबके सम्मुख प्रस्तुत...
तो ये बात है २०२२ की जब मैं कक्षा नौवीं में था।
प्रयागराज के गंगा गुरुकुलम विद्यालय में मेरा नया दाखिला हुआ था।
अब एक तो मैं वैसे भी गांव का सीधा सा
(बुद्धू सा 😜) बच्चा था ऊपर से सब नया , तो थोड़ी समस्या आना लाज़मी था । और उसी में मुझे मेरे क्लास टीचर ने कक्षा को संभालने की जिम्मेदारी दे दी थी अर्थात मॉनिटर बना दिया था।
खैर सब कुछ सही चल रहा था धीरे धीरे सब स्थाई हो गए थे और ज्यादा समस्या आ नही रही थी।
बस जो बात मुझे सत्र के अंत में जाके लगी वो यही थी कि बहुत बार ऐसा हुआ था कि कुछ शिक्षकों से थोड़ा वाद विवाद हो गया था वो भी बस इसी कारण क्युकी कई बार मेरे कहने का अर्थ या भावना कुछ और रहती थी परंतु वो गलत समझ लेते।
गणित के अध्यापक से इसी तरह एक बार रुष्ट हो गए थे, वे जाके राजीव सर यानी क्लास टीचर को शिकायत किए।
हालांकि पूरे स्कूल में वो मुझे सबसे अच्छे से समझते थे , वो आए और मुझे काफ़ी बेहतर तरीके से बातें समझाए।
फिजिक्स और मैथ्स के दोनो अध्यापकों से अंत तक मेरा संबंध अच्छा नही हो पाया ( एक तो यही विषय मेरी कमज़ोर कड़ी थे) शायद इसलिए भी।
पर हां,
अंग्रेजी के राजीव सर
हिंदी वाली अंजना मैडम
इनके रूप में मुझे ऐसे शिक्षक मिल गए जिनसे मेरा संबंध स्कूल मात्र तक सीमित रहने वाला नही है।
वैसे तो मुझे सहपाठियों से ज्यादा शिक्षकों की संगति ज्यादा भाती है, और कक्षा ९ में कई ऐसे सुंदर क्षण रहे जिसके वजह से वो मेरे जीवन की सबसे बढ़िया क्लास रही।
जब ९ की वार्षिक परीक्षा चल रही थी तो अचानक से मेरे मन में खयाल आया की आखिर उन टीचर्स को मैं अपने मन की बात बताऊं कैसे ,
अपने भाव और जो सम्मान मेरे मन में है उनके प्रति उसको कैसे व्यक्त करूं....
फिर यही कविता मेरा सहारा बनी।
जितने भी टीचर्स थे हमारी ९–ब में
सबके लिए चार चार पंक्तियां आप सबके सम्मुख प्रस्तुत...