...

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मन के घाव
शरीर के घाव तो भर
जायेगे .... पर मन के
घाव कहा? इतनी आसानी
से हम भर पाएंगे ....

शायद कुछ हफ्ते, महीने
या साल लगे .... हो सकता
है ऐसा भी की उम्र भर ये
घाव साथ रहे ......

पर इनके बोझ से मेरे
कंधे दुखने लगे हैं .......
अब मुझे ये घाव जरा
चुभने लगे हैं ..........

अपनो के दिए दर्द से
शिकायत नही ..... उसे
तो हम पानी समझ कर
अपनी आंखों को धोने
लगे हैं ..........

अब खुद को ही हम
खोने लगे हैं , दिखते
नही शरीर पर वो घाव
जो धीरे धीर मुझे
अंदर से खोखली
एक लाश बना रहे हैं

वैद , हकीम , सारे तन
पर लगे घाव मिटा रहे हैं

शायद उनको अंदाजा
नही की शरीर पर लगे घाव
चोट देते हैं पर मन पर
लगे घाव अंदर तक तोड़
देते हैं .....!

Ruhi........🖤

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