...

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खलिश
ये वादे, कस्मे
ये मोहब्बत की बाते...
एक दिन फुर्र हो जायेंगे सभी

फिर मिलोगे तो
पूछेंगे हम तुम्हे कभी
हम भी याद आये
जानेमन तुम्हे कभी

तुम कहोगे,
नहीं मोहतरमा...
मसरूफ हो गया था
नाम कमाने मे
जिसकी मोहब्बत मे लिखें थे
नग्मे कभी
मोहब्बत की लम्बी लम्बी
कहानियाँ..सभी
उसको याद कर सकूँ
इतना वक़्त
मिला ही नहीं मुझे कभी...