इंसान ❌ नरभक्षी ☑️
मैं निर्भया कांड
का आरोपी हूं।
हां मैं बंगाल में
चिक्तश्क की छवि को
धूमिल करने वाला।
हां में उसके जिस्म को
तार तार नोचने वाला
काला वैहिशी दरिंदा हूं।
मुझमें इंसानियत जिंदा नहीं।
मैं कलयुग का घोर अंत
दुस्त पाप हूं।
मेरे मन में करुणा नहीं
आग जलती है।
मैं आग उगलने वाला
पापी पाप हूं।
फल फूलता मैं
हर किसी के मन में
मैं सच को खाने वाला
शुरुआत का अंत हूं।
मैं हर किसी के मन में
व्याप्त अंधकार अहंकार हूं।
कहां समझा मैने कभी मानवता को
जोर जबरदस्ती से
अपनी हवस
की भूख मिटानेवाला
अपनी मां के कोंख से जन्मा
मैं राक्क्सस हूं।
उससे भी बुरा करके
मार काट चीर के
जिंदा दफना ने का
जिगरा है मुझमें।
ये मैं, मैं नही मेरा अहंकार है।
मैं तृप्त लिप्त मोह माया जाल में
ये अंत की शुरुआत हैं।
मैं तुम जैसा शरीफ नही हू।
हां मैं तुमसा तो
बिलकुल भी नहीं हूं।
मैं इश्क के नाम पर फरेब हूं।
हां मैं छल कपट।
परपंच आडंबर।
झूठ पाखंड सब हूं।
मैं वो नही हूं।
जो तुम सोचते हो।...
का आरोपी हूं।
हां मैं बंगाल में
चिक्तश्क की छवि को
धूमिल करने वाला।
हां में उसके जिस्म को
तार तार नोचने वाला
काला वैहिशी दरिंदा हूं।
मुझमें इंसानियत जिंदा नहीं।
मैं कलयुग का घोर अंत
दुस्त पाप हूं।
मेरे मन में करुणा नहीं
आग जलती है।
मैं आग उगलने वाला
पापी पाप हूं।
फल फूलता मैं
हर किसी के मन में
मैं सच को खाने वाला
शुरुआत का अंत हूं।
मैं हर किसी के मन में
व्याप्त अंधकार अहंकार हूं।
कहां समझा मैने कभी मानवता को
जोर जबरदस्ती से
अपनी हवस
की भूख मिटानेवाला
अपनी मां के कोंख से जन्मा
मैं राक्क्सस हूं।
उससे भी बुरा करके
मार काट चीर के
जिंदा दफना ने का
जिगरा है मुझमें।
ये मैं, मैं नही मेरा अहंकार है।
मैं तृप्त लिप्त मोह माया जाल में
ये अंत की शुरुआत हैं।
मैं तुम जैसा शरीफ नही हू।
हां मैं तुमसा तो
बिलकुल भी नहीं हूं।
मैं इश्क के नाम पर फरेब हूं।
हां मैं छल कपट।
परपंच आडंबर।
झूठ पाखंड सब हूं।
मैं वो नही हूं।
जो तुम सोचते हो।...