...

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अब मुमकिन नहीं मेरा लौटना
अब मुमकिन नहीं मेरा लौटना
क्यूंकि वो वक़्त जाया कर दिया तुमने
कितना "तरसा" हूँ मैं
तेरी एक आवाज को
इतना "बरसा" हूँ मैं
तेरी आहट के आगाज को
अब मुमकिन नहीं मेरा लौटना।
तुम नहीं समझोगे
चाहे कितनी भी दुहाई दूँ
तुम नहीं पिंघलोगे
चाहे कितनी भी सफाई दूँ
अब मुमकिन नहीं मेरा लौटना।
बड़ी आसानी से खेलते हो
दिल के जज्बातों से
जब दिल किया मिलते हो
महफ़िल के ख्यालातों से
अब मुमकिन नहीं मेरा लौटना
...अब मुमकिन नहीं मेरा लौटना...


© highratedmaan