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ये शाम आई है.....
इश्क का पैगाम लेकर ये शाम आई है,
आँखों में भर कर मय के जाम लाई है।
ये हसीन मंज़र देखना था नसीब में मेरे,
मसर्रत-ए-ज़ीस्त लेकर मेरे नाम आई है।
मुकद्दर का सितारा चमका है इस तरह,
मोहब्बत बन कर चैन-ओ-आराम आई है।
मोहब्बत में बदल कर रख दी ज़िंदगी मेरी,
उनकी मौजूदगी बनकर दर-ओ-बाम आई है।
सर -सब्ज़ नज़र आती है मेरे दिल की ज़मीं,
इश्क का पैगाम लेकर जब से ये शाम आई है।
आँखों में भर कर मय के जाम लाई है।
ये हसीन मंज़र देखना था नसीब में मेरे,
मसर्रत-ए-ज़ीस्त लेकर मेरे नाम आई है।
मुकद्दर का सितारा चमका है इस तरह,
मोहब्बत बन कर चैन-ओ-आराम आई है।
मोहब्बत में बदल कर रख दी ज़िंदगी मेरी,
उनकी मौजूदगी बनकर दर-ओ-बाम आई है।
सर -सब्ज़ नज़र आती है मेरे दिल की ज़मीं,
इश्क का पैगाम लेकर जब से ये शाम आई है।
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