...

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सुनो प्रिये !
मैं जीवन के अवसाद पथों का राही ,
तुम शीतल मन्द बयार प्रिय।

तुम उगते सूर्य की अरूणाई आभा,
मैं अस्ताचल का सूर्य प्रिये।

तुम तरूण दीप्त दिए की लौ हो,
मैं ढलती सांझ और रात प्रिये।

तुम नवकुसुमित हरसिंगार का पुष्प,
मैं पराग सूघंता बौराया सा भ्रमर प्रिये।

तुम सुधा बिखेरती धवल चांदनी,
मैं...