🥺अनकहे दर्द़ 🥺
कोई समझा ही नहीं,मेरे जज़्बातों को
मैं सहती और समझती रही, हर हालातों को
टूट के चकनाचूर हो जाता है मेरा भी हौसला
बहती है फिर अकेलेपन में नदियां मेरी आंखों...
मैं सहती और समझती रही, हर हालातों को
टूट के चकनाचूर हो जाता है मेरा भी हौसला
बहती है फिर अकेलेपन में नदियां मेरी आंखों...