...

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जिंदगी
हाथों में हाथ,
सड़को पर साथ,
मुँह में मिठास,
जीभ में खटास,
चार कदम चलने का वो तकलीफ,
पीछे बार -बार मुड़ कर देखना,
साथ हो तो भी,
खुद मे गुमसुम रहना,
मिले भी तो क्यों मिले मुझसे,
जिस तकलीफ से पहले
से गुज़र रही थी,
उसे फिर से खुरेदा क्यों,
इससे बेहतर आप कभी आये
ना होते,
तो शायद आज हम थोड़ा निखरे हुए होते ।।।।