...

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तेरे बगैर
नन्हीं सी चहकती मेरी सोन चिरैया,
छोड़ गई जब बनके दुल्हनियां ।
नहीं सुहाता है अब घर अंगना ,
"तेरे बगैर"सुना हुआ गली मोहल्ला ।।

याद बड़े आते है वो दिन पुराने ,
बीते सारे ही वो मौज मस्ती के ज़माने।
नहीं सुनता है अब मेरा कोई दुःख दर्द,
"तेरे बगैर"ये जिंदगानी हुई है बेदर्द ।।

ससुराल से पूछती हो जो हाल मेरा,
कैसे कहें कि मार गया जाना तेरा।
नहीं कहते है हम प्यारी बिटिया से,
"तेरे बगैर"घर में छाई हुई हैं विरानियां सी।।

खुश रहना तुम सदा चहकती सी,
आएं ना कभी रोती घबराती सी।
नहीं देख सकते तेरा उदास सा मुखड़ा,
"तेरे बगैर" व्यासजी कहते नहीं अपना दुखड़ा।।
लेखक_#shobhavyas
#WritcoQuote
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