...

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तुमसे जुदा होकर
तुमसे जुदा होकर खँडहर हुईं यादे मेरी चलो उसे कहीं,
दफ़न कर हसींन पलो अबाद करने की वजह ढूढ़ते है!

रिश्तो की गिरह अब कहीं कमजोर सी पड़ गई है चलो
विश्वाश, सच्चाई की डगर पर चल नई राह ढूढ़ते है!

कहने को पूरा संसार यहाँ अपना है, चलो जो मुसीबत
में खड़े रहे साथ ऎसा कोई सच्चा साथी ढूढ़ते है!

मुसीबत में बुज़दिल की तरह छोड़ कर जाने वाला नहीं
युद्ध में कृष्ण की तरह मार्गदर्शन करने वाला मित्र ढूढ़ते है!

जीवन में ग़मो का साया तो परछाई बन कर चलेगा,
चलो उन में हम थोड़ी सी खुशियों की वजह ढूढ़ते है!

हर तरफ से धिक्कार, नाकामयाबी,जिम्मेदारी मिली,
चलो अपने सपनों को उड़ान भरने की वजह ढूढ़ते है!

हर तऱफ अंधेरा ही छाया है रौशनी की उम्मीद नहीं,
कहीं इन गहरी रात में दिए की एक लौह ढूढ़ते है!
© Paswan@girl