इंसाफ
अब तो इंसाफ की आवाज़ बुलंद करने दो
डट के मैदान मे ज़ुल्म का सर कलम करने दो ,
कब तलक इंसाफ की आवाज़ दबाते रहो गे
कितने मजलूमों कि जान यूं ही जान गवाते रहो गे,
ज़ुल्म तो ज़ुल्म है फिर उसे कैसे छूपाओ गे
किसी मज़लोम की आह से खुद को कैसे बचाओ गे ,
अब तो इस देश मे बेटी की हिफाज़त ना रही
घर के इन चार दीवारों में भी दारारे ही पड़ी ,
इस देश के दरिंदो ने उसे खा डाला
देश की बेटी को बे मौत ही मार डाला ,
कब तलक यह सीलसिला चलता रहेगा देश में
कब तलक फिर औनियत चलती रहे गी देश में !!
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डट के मैदान मे ज़ुल्म का सर कलम करने दो ,
कब तलक इंसाफ की आवाज़ दबाते रहो गे
कितने मजलूमों कि जान यूं ही जान गवाते रहो गे,
ज़ुल्म तो ज़ुल्म है फिर उसे कैसे छूपाओ गे
किसी मज़लोम की आह से खुद को कैसे बचाओ गे ,
अब तो इस देश मे बेटी की हिफाज़त ना रही
घर के इन चार दीवारों में भी दारारे ही पड़ी ,
इस देश के दरिंदो ने उसे खा डाला
देश की बेटी को बे मौत ही मार डाला ,
कब तलक यह सीलसिला चलता रहेगा देश में
कब तलक फिर औनियत चलती रहे गी देश में !!
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