इंसाफ
अब तो इंसाफ की आवाज़ बुलंद करने दो
डट के मैदान मे ज़ुल्म का सर कलम करने दो ,
कब तलक इंसाफ की आवाज़ दबाते रहो गे
कितने मजलूमों कि जान यूं ही जान गवाते रहो गे,
ज़ुल्म तो ज़ुल्म है फिर उसे...
डट के मैदान मे ज़ुल्म का सर कलम करने दो ,
कब तलक इंसाफ की आवाज़ दबाते रहो गे
कितने मजलूमों कि जान यूं ही जान गवाते रहो गे,
ज़ुल्म तो ज़ुल्म है फिर उसे...