ठंडी क्या आफत है भाई
ठंडी क्या आफत है भाई ,
सर पे टोपी बदन रजाई ,
भूले सारे सैर सपाटा ,
गलियों में कैसा सन्नाटा,
दादी का कैसा खर्राटा,
जैसे कोई धड़म पटाखा ,
पानी से तब हाथ कटे है ,
जब जब आटा हाथ सने है,
भिंडी लौकी कटे ना भाई ,
सर पे टोपी बदन रजाई ,
ठंडी क्या आफत है भाई।
भूल गए सब चादर वादर,
कूलर भी ना रहा बिरादर,
क्या दुबले क्या मोटे तगड़े ,
एक एक कर सबको रगड़े,
थर थर थर थर कंपते गात ,
और मुंह से निकले भाप ,
बाथ रूम को जब भी जाते,
बूंद...
सर पे टोपी बदन रजाई ,
भूले सारे सैर सपाटा ,
गलियों में कैसा सन्नाटा,
दादी का कैसा खर्राटा,
जैसे कोई धड़म पटाखा ,
पानी से तब हाथ कटे है ,
जब जब आटा हाथ सने है,
भिंडी लौकी कटे ना भाई ,
सर पे टोपी बदन रजाई ,
ठंडी क्या आफत है भाई।
भूल गए सब चादर वादर,
कूलर भी ना रहा बिरादर,
क्या दुबले क्या मोटे तगड़े ,
एक एक कर सबको रगड़े,
थर थर थर थर कंपते गात ,
और मुंह से निकले भाप ,
बाथ रूम को जब भी जाते,
बूंद...