चट्टान
सुना हैं वो भी रोते है
जिनसे कहा जाता है मर्द रोते नहीं
जो दर्द वो कह नहीं पाते
चट्टान बनकर सहते है
उनके अनकहे दर्द अक्सर तन्हाई में
आंखों में उतर कर रोते हैं
अंधेरे कमरे में जब भीगा लिहाफ मिले
या यूंही कभी जब आंखे नम और लाल दिखे
समझना कोई दरिया बह निकला है
चट्टानों को तोड़कर रास्ता बनाते हुए...
जिनसे कहा जाता है मर्द रोते नहीं
जो दर्द वो कह नहीं पाते
चट्टान बनकर सहते है
उनके अनकहे दर्द अक्सर तन्हाई में
आंखों में उतर कर रोते हैं
अंधेरे कमरे में जब भीगा लिहाफ मिले
या यूंही कभी जब आंखे नम और लाल दिखे
समझना कोई दरिया बह निकला है
चट्टानों को तोड़कर रास्ता बनाते हुए...