...

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कोई जीना तो नही छोडता
मुकर्रर मुंझसे हैं गम-ए-हालात इस कदर
जैसे कोई बच्चा हैं, खिलोना नही छोडता

मैने उसे छोडा था, उसीकी ख़ुशी के खांतिर, वर्ना,
इरादा तो था के साथ, कयामत तक नही छोडता

हमने परिन्दो से सिखा हैं हुनर हौसलो का,
घोसले लाख टुटे चाहे, जिद वहभी बनाने कि नही छोडता

जिंदगी इक बारगी हीं मिलती हैं जी लेंगे, चाहे रहगुजर जैसी हो,
अब, मरने से पहले कोई जीना तो नही छोडता.

© 🖋️दिलं-ए-जज्बात