चाय और मेरी दिनचर्या
भानु की किरणे पड़ी सोते हुए मेरे चेहरे पर
खुली आंखे नजर पड़ी खिड़की पे पर्दों के पहरे पर
देखा बाहर हुई भोर
पंछी चेहचात,चेहचाते चकोर!!
कुछ देर ठेहरा मन
फिर चाय की तलव की ओर
चाय मिले सुबह की मन मुग्ध होवें विभोर
दूध मे शकर शकर मे मिठास
खुशबूदार चाय आ रही मेरे पास!!
माँ बोली लो चाय पियों
चाय के साथ इस दिन को जियो
चाय की चुस्की पीकर निकले जुबां से तारीफों के शोर
मन मुग्ध होकर...
खुली आंखे नजर पड़ी खिड़की पे पर्दों के पहरे पर
देखा बाहर हुई भोर
पंछी चेहचात,चेहचाते चकोर!!
कुछ देर ठेहरा मन
फिर चाय की तलव की ओर
चाय मिले सुबह की मन मुग्ध होवें विभोर
दूध मे शकर शकर मे मिठास
खुशबूदार चाय आ रही मेरे पास!!
माँ बोली लो चाय पियों
चाय के साथ इस दिन को जियो
चाय की चुस्की पीकर निकले जुबां से तारीफों के शोर
मन मुग्ध होकर...