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मेरे लिए तो तुम ईद का चाँद रहे हो...EID SPECIAL
मेरे लिए तो तुम सदा ही ईद का चाँद रहे हो,
ईद का चाँद तो फिर रूबरू दिख जाया करता है कभी,
तुम तो मेरी नज़रों की सरहद से सदा हीआज़ाद रहे हो।
ऐसा तो नहीं कि तुम कभी दिखाई ही नहीं दिए हो मुझे,
एक फासले पर ही सही आबाद रहे हो,
मेरे लिए तो तुम सदा ही ईद का चाँद रहे हो।
कई बार मन ने जुर्रत की है दूरियों को फ़ना करके तुम्हें छू लेने की,
तुम्हारे बालों में उंगलियाँ फेरने की,
मेरी ख़्वाहिशों के लिए तो तुम अक्सर ही नाशाद (disappointing)रहे हो,
मेरे लिए तो तुम सदा ही ईद का चाँद रहे हो।
दीद तुम्हारी मेरी ईद से कम तो नहीं,
शर्त बस ये है कि सामने तुम बैठो,
मेरे होंठों की तो तुम ही बस एक फ़रियाद रहे हो,
मेरे लिए तो तुम सदा ही ईद का चाँद रहे हो।
#Love&love #shayarilove #writcopoem
© Haniya kaur