यादों का साया
अरमाँ जाग जाता है
जब तुम यादों मेें मुस्कराती हो
हर लम्हा खिल खिलाता है
जब तुम आकर ख़्वाब मेें गले लगाती हो
महकती यादों की खुशबु से तेरी
मेरी दुनिया फ़िर महक जाया करती है
फ़िर जब आँख खुलती है तो
वही तन्हा मंज़र, दर्द का आलम सा
बोलो ना यादों मेें आकर क्यों फ़िर
तुम मुझे हँसा कर रुला जाया करती हो
© कृष्णा'प्रेम'
जब तुम यादों मेें मुस्कराती हो
हर लम्हा खिल खिलाता है
जब तुम आकर ख़्वाब मेें गले लगाती हो
महकती यादों की खुशबु से तेरी
मेरी दुनिया फ़िर महक जाया करती है
फ़िर जब आँख खुलती है तो
वही तन्हा मंज़र, दर्द का आलम सा
बोलो ना यादों मेें आकर क्यों फ़िर
तुम मुझे हँसा कर रुला जाया करती हो
© कृष्णा'प्रेम'