...

5 views

दिमाग़ और दिल
इक बार फिर दिमाग़ और दिल में
जंग छिड़ गई
कातिलाना नज़रों के वार से
उसकी राह बदल गई।
सोचता वो रहा रात भर
करवटें ले लेकर
जैसे अब कोई दुनियां सी 
पलट गई।
इक बार फिर………...

उस मासूम से चेहरे को
अपने हाथों से छूकर
हाथ थाम ले उसका,
या जिंदगी में खैरियत है सब,
ये इश्क भी
पानी का है बुलबुला 
सोच सोच कर
पूरी रात निकल गई।
इक बार फिर…………...

मजबूर सा लग रहा था वो
अपने इस किरदार में
शोर सारा सुन रहा था
जो दिल ने मचाया अब
उसके इस दिमाग में,
अनकही सारी बातें भी
उसकी उन साँसों में
इस कदर घुल गई।
इक बार फिर………..

राजदार है दिल के किस्सों का
दिमाग़ से छुपाया ना जाये
बेवजह इनकार के डर से
मोहब्बत बाहर ही ना आये
बेकरारी हद पार कर
ख़्वाबों में ही इजहाऱ कर
दिमाग़ के ख़ुश-लिबास में
बात दिल की जुबान से 
यूं फिसल गई।
इक बार फिर……



© InduTomar