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दिल्लगी
जिंदगी बनकर एक पहेली साथ चलती गई
वो मिलेंगे किस मोड़ पर इस आस पर रह गई,
गुज़रते वक्त से ये आभास होने लगा मुझे
ये दिल की लगी शायद दिल्लगी बन गई,
कुछ कदम चल दिए थे यूँही
तेरी कमी मुझे खल गई
तुम पतझड़ में बहार बनकर आए
और देखो मेरी जिंदगी निखर गई
आरज़ू बस यही थी दिल की
क्या रब के दरबार में कबुल हो गई,
सोचा ही था मिला जैसे कोई
दिल की चाहत फ़ना हो गई ।।
धरा 🌹
#Lipi ❤
वो मिलेंगे किस मोड़ पर इस आस पर रह गई,
गुज़रते वक्त से ये आभास होने लगा मुझे
ये दिल की लगी शायद दिल्लगी बन गई,
कुछ कदम चल दिए थे यूँही
तेरी कमी मुझे खल गई
तुम पतझड़ में बहार बनकर आए
और देखो मेरी जिंदगी निखर गई
आरज़ू बस यही थी दिल की
क्या रब के दरबार में कबुल हो गई,
सोचा ही था मिला जैसे कोई
दिल की चाहत फ़ना हो गई ।।
धरा 🌹
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