यूँ ही नहीं...
#आदर्शितव्यक्तित्व
यूँ ही नहीं मिल जाती हैं, रौनकें किसी को भी
इक हिस्सा ज़िन्दगी का, जलाना पड़ता है।
यूँ ही नहीं चमकती है, तक़दीर किसी की भी
इक दौर तलक़, अपने को, गलाना पड़ता है।
यूँ ही नहीं आती...
यूँ ही नहीं मिल जाती हैं, रौनकें किसी को भी
इक हिस्सा ज़िन्दगी का, जलाना पड़ता है।
यूँ ही नहीं चमकती है, तक़दीर किसी की भी
इक दौर तलक़, अपने को, गलाना पड़ता है।
यूँ ही नहीं आती...