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मैं कलम हूँ
मैं किसी की पक्षधर नहीं निष्पक्ष हूँ, मैं दोधारी तलवार के धार के समक्ष हूँ, मैं सत्य और असत्य के विभेद में दक्ष हूँ मैं कलम हूँ, मैं कलम हूँ | व्यक्तिगत विचारों के अनुरूप मैं चलती हूँ, सच का साथ देना हो तो सरपट दौड़ती हूँ, मिथ्या लिखें जो कोई रुक-रुक रेंगती हूँ, मैं मजबूर हूँ, निर्जीव हूँ मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ | लग जाऊ सही हाथ तो मैं दुनियां बदल दूँ, और जग को ज्ञान प्रकाश से भर दूँ, सच और झूठ का पर्दाफास कर दूँ, मूक हूँ, बेबस हूँ, दूसरों पर निर्भर हूँ मैं कलम हूँ, मैं कलम हूँ ||
© shweta Singh