कुछ अनकही बाते खुद से...
#दर्पणप्रतिबिंब
देख आज दर्पण मे चेहरा अपना, मन मे उठे है कुछ सवाल,
क्या करू मे भगवान की भक्ति,
या करू अपनी किस्मत पर भरोसा,
करू अपने पैरो को मजबूत,
या रहु मै निर्भर अपनों पर,
छू, लू आसमां की ऊंचाईयों को,
या नीचे रह कर करू पूरी ज़िम्मेदारी ,
इस कलयुगी दुनिया मे, मै पहचान न पायी किसी को,
कौन है अपना, कौन है पराया, किस किस को अपनी व्यथा है सुनाऊ,
रखु जो मे हौसला, तो बहुत कुछ है मै कर जाऊ,
जो ना रखु खुद पर भरोसा,तो इस संसार रूपी समुन्दर मे है, मै तर जाऊ.... ✍️
© मोनिका पंचारिया
देख आज दर्पण मे चेहरा अपना, मन मे उठे है कुछ सवाल,
क्या करू मे भगवान की भक्ति,
या करू अपनी किस्मत पर भरोसा,
करू अपने पैरो को मजबूत,
या रहु मै निर्भर अपनों पर,
छू, लू आसमां की ऊंचाईयों को,
या नीचे रह कर करू पूरी ज़िम्मेदारी ,
इस कलयुगी दुनिया मे, मै पहचान न पायी किसी को,
कौन है अपना, कौन है पराया, किस किस को अपनी व्यथा है सुनाऊ,
रखु जो मे हौसला, तो बहुत कुछ है मै कर जाऊ,
जो ना रखु खुद पर भरोसा,तो इस संसार रूपी समुन्दर मे है, मै तर जाऊ.... ✍️
© मोनिका पंचारिया