...

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खुद से नजरें तो मिला लेते हो ना
आईने में चेहरा सजा लेते हो ना
हर रोज थोड़ी धूल हटा लेते हो ना

खुद से नजरें तो मिला लेते हो ना
सुनो अच्छे से मुस्कुरा तो लेते हो ना

क्या क्या अच्छा बुरा किया है तुमने
अपने कर्मों का हिसाब लगा लेते हो ना

जो छोड़ा था पीछे सामने जरूर आयेगा
कभी अतीत में भी नज़रें घुमा लेते हो ना

ऊपर लगा है एक सीसीटीवी का कैमरा
रोज़ दुनिया से बहुत कुछ छुपा लेते हो ना

आज जो बो रहे हो बीज वही कल फसल होगी
सुनो ,,,,खरपतवार से तो बचा लेते हो ना

किस दिन खुद को खुद से मिलाओगे तुम
रोज़ रोज़ नया मुखौटा चढ़ा लेते हो ना !
नमिता चौहान


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